सूरजपुर/- टीचर्स ग्रुप से बिना सूचना दिए ग्रुप से सदस्य को हटाने व आत्मसम्मान को आघात पहुंचाने को लेकर प्राथि द्वारा थाने में शिकायत करते हुए दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग की गई है।
जानकारी के अनुसार प्रतापपुर थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत केवरा के शिक्षकों का गोपनीय दस्तावेज या निजी जानकारी अब सामूहिक परिचर्चा के रूप में उजागर करने तथा शिक्षकों की जानकारियां शासकीय और गोपनीय ना होकर अब सार्वजनिक हो रही है वह भी केवरा संकुल प्रभारी एवं समन्वयक की रजामंदी से 3-4 शिक्षकों का ग्रुप ही अपने अन्य शिक्षकों के निजी एवं शासकीय जानकारियां सार्वजनिक एवं साझा करने पर तुले हैं और किसी भी महिला शिक्षक को अपने निजी स्वार्थ हेतु उनके संपूर्ण जानकारी एकत्रित कर उन्हें अनावश्यक परेशान किया जाता है साथ ही "केवरा टीचर संकुल ग्रुप "के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाता है और शासकीय जानकारियां साझा किया जाता है, साथ ही बिना किसी की मर्जी जाने उसे ग्रुप में जोड़ा जाता है और जब मर्जी तब उसे निकाल दिया जाता है, इससे किसी भी सामान्य, सम्माननीय नागरिक की छवि धूमिल हो या मानसिक प्रताड़ित हो, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, वह भी एक जिम्मेदार संस्था प्रमुख और शासकीय सेवारत व्यक्ति के द्वारा किया जाता है।
विदित हो कि "कैवरा संकुल टीचर ग्रुप" नाम का एक फर्जी व्हाट्सएप ग्रुप प्राथमिक शाला चारपारा में पदस्थ शिक्षक श्रीलाल राम के द्वारा बनाया गया है और शराब और शबाब के शौकीन अपने साथियों को ग्रुप एडमिन बना कर ग्रुप संचालित किया जाता है और किसी भी अन्य व्यक्ति को ग्रुप में जोड़ दिया जाता है चाहे वह संकुल से संबंधित हो या ना हो और मजे की बात बाकी बचे सभी शिक्षक अपने डरे सहमे शिक्षा शैली से "भेड़ की चाल" वाली कहावत पर अपना निजी एवं शासकीय डाटा शेयर करते हैं वो भी सम्पूर्ण विश्वास के साथ है जब की ना ही किसी का आवश्यक दस्तावेज सुरक्षित रखा जाता है क्योंकि इस ग्रुप में कौन है? क्या है? क्यों है ? किसी को कोई मतलब नहीं और मजे की बात तो यह है कि इस ग्रुप में संकुल प्रभारी एवं संकुल समन्वयक खुद ही सदस्य के रूप में जोड़ दिए जाते हैं और संचालन तेनालीराम (श्रीलाल राम) और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य करते हैं। एक तरफ सरकार कहती है कि अपनी डाटा किसी से शेयर ना करें ,जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड ,बैंक पासबुक, इत्यादि और यहां खुद शिक्षकों का एक शिक्षक साथी ही अपने आप को सुप्रीम बनाने की होड़ में खुद ग्रुप एडमिन और अपने चमचों को ग्रुप एडमिन बना रखा हो और संकुल समन्वयक और प्रभारी सदस्य हो तो बाकी बचे महिला एवं पुरुष शिक्षकों के नौकरी पर लटकती तलवार या उनका निजी या सरकारी दस्तावेज के दुरुपयोग की जिम्मेदारी कौन लेगा। संस्था प्रमुख? संकुल समन्वयक? संकुल प्रभारी? बी ई ओ ? डी ए ओ? या प्राथमिक शाला के सहायक शिक्षक श्रीलाल राम? यह जानकारी भी या ऐसी भयावह सच जो बाकी शिक्षकों को सचेत या आंख खोल देने वाली होगी। मनीष मिश्रा नाम के सम्मानित व्यक्ति को भी इस ग्रुप में उनके मर्जी के बगैर जोड़ा गया था और उनको सहायक शिक्षक के इशारे से जो ग्रुप एडमिन है बिना किसी पूर्व सूचना के ग्रुप से बाहर कर दिया गया जिससे उन्हें बहुत ज्यादा मानसिक आघात, असंतोष पहुंचा, जिसकी प्राथमिकी उन्होंने थाने में दर्ज कराई है।
शासन द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई, के बोल, मोहल्ला क्लास, अन्य विविध प्रकार से शासकीय पढ़ाई को सुदृढ़ तरीके और सुचारू रूप से जमीनी स्तर पर संचालित हो ऐसा सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही और प्रतापपुर बीईओ जनार्दन सिंह के द्वारा खुद भी सराहनीय प्रयास किया जाता रहा है परंतु दिया तले अंधेरा मुहावरे सच करने में क्यों राखी कुछ शिक्षकों द्वारा यह प्राधिकृत किया जा रहा है जो किसी भी शिक्षक का निजी एवं शासकीय दस्तावेज की जानकारी को गलत हाथों में साझा कर उन्हें तबाह और बर्बाद किया जा सकता है ऐसी स्थिति में क्यों संकुल प्रभारी द्वारा दिए गए औरों को अंधेरे में रखकर किया जा रहा है ऐसा कार्य इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
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