कोरबा (आईबीएन-24) कटघोरा में सरकारी शराब दुकान के पास अवैध चखना दुकान संचालित आखिर किसके सह पर चल रही है यह अवैध चखना दुकाने? आबकारी और पुलिस विभाग को अवगत कराया गया था परंतु दोनों ही विभाग द्वारा मात्र औपचारिकता निभाते नजर आई है, उसके बाद भी आबकारी एवं पुलिस विभाग के नाक के नीचे खुलेआम चखना दुकान का संचालन होना दोनों ही विभागों के क्रियाकलापों पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। जिले के शराब दुकानों के सामने धड़ल्ले से नियम विरुद्ध अहाता और चखना सेंटर का संचालन किया जा रहा है। जबकि शासन से अनुमति न मिलने के कारण प्रशासन ने कहीं भी अहाता या चखना सेंटर खोलने की अनुमति नहीं दी है। इसके बाद भी जिले के कटघोरा, दीपका सहित लगभग सभी शराब दुकानों के ठीक सामने चखना सेंटर संचालित हो रहे हैं। खास बात ये है कि सभी दुकानों पर ज्यादा कीमत पर चखना बेचा जा रहा है। इसके बाद भी आबकारी विभाग द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिला प्रशासन ने शराब दुकानों के सामने कोई भी दुकान संचालित करने के लिए एक नियम निर्धारित कर रखा है। जिसके तहत शराब दुकानों से 50 मीटर की दूरी पर कोई भी दुकान संचालित नहीं होना चाहिए।
लेकिन, वर्तमान में जिले की हर दारू भट्ठी के काफी नजदीक में चखना सेंटर का संचालन किया जा रहा है। एक भट्ठी के सामने एक प्रमुख दुकान है और कई छोटी दुकानों भी चल रही हैं। इनके पास कोई अनुमति भी नहीं है। फिर भी इनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि इन चखना सेंटर को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। इस कारण से प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसके अलावा चखना सेंटरों से विभाग को रिश्वत दिए जाने की भी बात सूत्रों ने बताई है। चखना सेंटर को प्रशासन से अनुमति दी जाती तो इससे शासन को राजस्व की प्राप्ति होती। लेकिन, यहां पर सभी दुकानें अवैध रूप से संचालित हो रही हैं। इससे शासन को तो किसी प्रकार का राजस्व नहीं मिल रहा है। लेकिन, चखना सेंटर वाले ज्यादा कीमत पर सामान बेचकर मोटा मुनाफा जरूर कमा रहे हैं। एक चखना सेंटर पर रोजाना 20 से 25 हजार रुपये का प्रतिदिन का व्यापार होता है। लेकिन, इससे शासन को कोई लाभ नहीं है। इसके विपरित इन दुकानों के चलते आसपास में गंदगी का ढेर लग जाता है। भट्ठी के आसपास डिस्पोजल गिलास, पानी पाउच और कागज के प्लेट बिखरे पड़े रहते हैं।
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