पब्लिक द्वारा शिकायत के आभाव और ठोस कार्यवाही न होने के कारण आज भी पुलिस गिरफ्त से बाहर मास्टरमाइंड...!
कोरबा(आईबीएन-24) हमारे राज्य छत्तीसगढ़ में जिस तरह से महंगाई अपने चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ती देखी जा सकती है ठीक इसी तरह बेरोजगारी भी चरम सीमा पर बढ़ चुकी है और यही बेरोजगार युवा पीढ़ी रोजगार की चाह में बनते है चिटफंड संस्था या कंपनियों के ठगी का शिकार । इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिलो में कई वर्षों से लगातार बढ़ रही है अनेक नाम के संस्था ,एनजीओ ,ट्रस्ट और अनेक ना-ना प्रकार के चिटफंड कंपनियों के द्वारा ठगी किए जाने का खेल । भले छत्तीसगढ़ सरकार चिटफंड कंपनियों से लोगों द्वारा ठगे गए पैसे को दिलवाने का पूरा प्रयास कर रही है और इस ओर कार्य भी कर कई लोगों का पैसा भी वापसी कराया जा रहा है ।जिस तरह प्रदेश के मुखिया लोगो से ठगे गए रकम की वापसी कर लोगो को आश्वस्त कर रही है उसी के विपरीत कई ट्रस्ट और एनजीओ मनमाने ढंग से बिना कोई अनुमति छत्तिसगढ़ के विभिन्न जिलों में अपना पांव पसार चुकी है। छत्तीसगढ़ राज्य के कई जिलों में तरह-तरह की कल्याण कारी योजनाओं के नाम पर फर्जी एनजीओ/ट्रस्ट के द्वारा खेला जा रहा है ठगी का अनोखा खेल । लोगो को धोखे में रखकर तरह तरह का प्रलोभन देकर रकम इक्कट्ठा करने का आजमाया जाता रहा है नायाब तरीका , जो बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के बेखौफ होकर रकम उगाही का खेल खेले जाते हैं । जिनके पास ना तो कोई वैध दस्तावेज है और ना ही ट्रस्ट/एनजीओ के रजिस्ट्रार अथवा उप रजिस्ट्रार के द्वारा पंजीकृत की गई लाइसेंस या अन्य प्रमाणिक दस्तावेज ।
छत्तीसगढ़ के ऊर्जा धानी कहे जाने वाले कोरबा जिले में भी ऐसे कई एनजीओ संस्था/वेलफेयर सोसायटी या फिर धर्मार्थ ट्रस्ट के नाम को आड़े लेकर लोगों को कई तरह का प्रलोभन और रोजगार प्रदान करने का सुझाव देकर सदस्य बनाने और संस्था में नौकरी दिलाने के नाम से अनगिनत लोगों को ठगे जा चुके हैं। यह फर्जी ट्रस्ट धर्मार्थ ट्रस्ट या एनजीओ बनकर और अपने को शासन से पंजीकृत होना बताकर लोगों को नौकरी अथवा योजनाओं का कल्याणकारी लाभ दिलाने के नाम से पैसा जमा कराकर कई महीनो से गुमराह कर गोल गोल घुमाते रहते है अन्त में ठगे गए जनता समझ जाती है की अब कुछ होना नही है और कुछ तो मिलना नही है कर ठगा महसूस कर शांत हो जाती है । इस ठगी के खेल में सबसे ज्यादा बेरोजगार महिलाएं ,लड़कियां और लड़कों का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हे संस्था में वेतन बेस में नौकरी दिलाने के नाम पर सदस्य बना कर पहले इन्ही से २००० से ३००० या किसी से दस हजार से पचास हजार तक लिया जाता है फिर इनके द्वारा डोर टू डोर सर्वे कराकर या अपने नजदीकी परिचित लोगो को पहले फसाया जाता है । कुछ एजेंटो को तो ग्रामीण और नगरीय निकाय तथा कस्बों जैसे क्षेत्रों के प्रत्येक घर में सर्वे कराया जाता है और सदस्यता देकर नागरिकों और बेरोजगारों से पैसा जमा करवाया जाता है ।
इन चिट फंड ,एनजीओ और धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा कई तरह से लोगो को प्रलोभन दिया और दिलवाया जाता है । शुरू शुरू में 20 से 25 घरों में कुछ कुछ रोजमर्रा के उपयोगी का समान देकर फोटो खींचाकर लोगों के बीच वाहवाही और सोशल मीडिया, वेब पोर्टल ,दैनिक अखबार और यूट्यूब चैनल के माध्यम से अपने द्वारा किए दिखावे के धर्म कार्य का प्रचार प्रसार कर सुर्खिया बटोरकर यह समझ जाते है कि अब तो पब्लिक हम पर पूरा विश्वास कर चुकी है फिर पूरे क्षेत्र के लोगो से रकम जमाकराकर ये संस्थाए रफू चक्कर हो जाती है । बाद में फसते है इसमें काम करने वाले मुख्य एजेंट ।
जब लंबे समय से जनता को कोई लाभ नहीं मिलता तो यह एजेंट को पैसे वापसी के लिए परेशान करना चालू कर देते है । और संस्था में जो मुख्य एजेंट बने होते है या तो जनता उसकी पुलिस में शिकायत करती है या फिर पुलिस में शिकायत के डर से फसे हुए एजेंट पब्लिक को रकम वापसी का आश्वासन देकर कई महिनों और सालों से गोल गोल घुमाते रहते है । यह माजरा इसी तरह केवल कोरबा जिले में ही नही बल्कि कई जिले के भोले भाले जनता को लालच देकर ठगी का शिकार बनाया जाता रहा है । इन बेरोजगार और गरीब स्लम के लोगो का दिमाग इस तरह से ब्रेनवास करते है कि अगला अपने हालात वस यह समझ नही पाता है की मैं ठगी का शिकार हो रहा हूं। ठीक इसी तरह का एक मामला सामने आया है जो "साई ट्रस्ट ओडिसा" नाम की ओडिसा की धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा छत्तिसगढ़ में अपने संस्था को "साई ट्रस्ट छत्तिसगढ़" के नाम से स्थापना और पंजिकृत होना बताकर बिना कोई शासकीय अनुमति और बिना कोई लिगल दस्तावेज के कोरबा ही नही छत्तीसगढ़ के कई जिलों के भोलेभाले जनता को अपने ठगी का शिकार बना चुकी है । कई तरह के कल्याण कारी उद्देश्यों और योजनाओं के बारे में बताकर जैसे कुपोषण को दूर करने जरूरतमंद लोगो को संस्था के द्वारा आवास प्रदान करने और बेरोजगारों को अपने ट्रस्ट में रोजगार दिलाने का प्रलोभन देकर किसी से छोटी किसी से बड़ी रकम जमा कराकर आज लगभग एक वर्ष से गोल गोल घुमाते आ रही है । इस संस्था के द्वारा बनाए गए कल्याण कारी उद्देश्यों में से किसी भी एक योजना का लाभ आज दिनांक तक किसी भी जनता को नही मिलने से धर्मार्थ "साई ट्रस्ट ओडिसा" और "साई ट्रस्ट छत्तिसगढ़" के प्रमुख पदाधिकारी/संस्थापक दीपक कुमार बराड़ ओडिसा निवासी और अनिल कुमार श्रीवास जिला जांजगीर , छत्तिसगढ़ निवासी लोगो के झूठी कार्यशैली पर अब कई सवाल उठा रही है जिनके द्वारा उक्त संस्था के द्वारा जन कल्याण कारी उद्देश्यों को जो जनता को बताया गया है को पूरा न करने की बात कह रही है । जनता का कहना है कि इन सब गतिविधियों से यह स्पष्ट होता है कि हम छत्तीसगढ़ वासी लोगो के साथ "साई ट्रस्ट ओडिसा" एवं उसके शाखा "साईं ट्रस्ट छत्तिसगढ़" के नाम पर ठगी कर गरीब वर्ग और बेरोजगारों के साथ छल करते हुए आर्थिक छती पहुंचाया गया है ।
मिले सूत्रों के अनुसार इस संबंध में समाचार लिखने और समाचार कवरेज दौरान इंडियन बिजनेस न्यूज़ के द्वारा "साईं ट्रस्ट ओडिसा" के संस्थापक दीपक कुमार बराड और "साईं ट्रस्ट छत्तीसगढ़" के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार श्रीवास से संस्था और संस्थापक का पक्ष जानने की कोशिश की गई पर कोई संतोष जनक जानकारी नहीं मिल पाया है । उक्त दोनों संस्था संचालकों द्वारा गुमराह पूर्वक बात कही जा रही है । अब आगे समाचार दाताओ के द्वारा संस्था के ठगी कार्यकाल के गतिविधियों की पूरी जानकारी कवरेज कर पुनः इनके धर्म और आस्था के आड़ के काले कारनामे और ठगी का पर्दा फाश करते हुए जनता के सामने समाचार प्रकाशन और समाचार प्रसारण के माध्यम से जरूर लाया जाएगा ।
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