कोरबा/पाली (आईबीएन-24)अंधकार और प्रकाश का संघर्ष सनातन है ,जगमग दीप की एक कंपित लौ जब अस्तित्ववान हो जाती है,तब अंधकार न तो अभेद्य रह जाता है,और ना ही अमिट। लौ का यही भीना -भीना प्रकाश समाज के गहन अंधकार को आलोक में परिवर्तित कर बच्चों की शिक्षा या तालीम को कालजयी बना देता है।प्रतिवर्ष शिक्षक सुनील जायसवाल अपने शाला के कर्मचारियो को मिष्ठान,व् गिफ्ट बांटकर दीपोत्सव मनाते हैं। समन्वयक श्री वीरेंद्र जगत के मार्गदर्शन मे प्रकाश पर्व पर प्राथमिक शाला नर्सरी पारा तथा माध्यमिक शाला रंगोले.. जहां अहाते के चारों ओर सैकड़ों दीपक अज्ञान रूपी तिमीर के प्रतिकार मे दैदिब्यमान हुए,आज दीप पर्व पर शिक्षक के प्रयास से यहां के पालको, माताओ व बच्चों के द्वारा स्व-स्फूर्त रंगोली से शाला के मुख्य द्वार को आकर्षक कर सुशोभित किया गया ।
मुख्य द्वार के दोनों छोर तक दीपों की माला सजाई गई,वन्दन द्वार तोरण से सजाया गया।स्कूल महालक्ष्मी तथा मां सरस्वती के आशीष का इंतजार कर रहा था।त्यौहार होने के बावजूद पालको ने समय दिया गया इस पर शिक्षक ने आभार व्यक्त किया।एक से बढ़कर एक रंगों की सजावट सरकारी स्कूल को अपना बनाने में कसर नहीं छोड़ा । माध्यमिक शाला रंगोले तथा प्राथमिक शाला नर्सरी पारा के भवनों में भी दीप प्रज्वलित किए गए ।परिसर के दोनों ओर मध्यान्ह भोजन कक्ष, पंप हाउस,सीसी रोड तथा अहाते के लंबवत एक छोर से दूसरे छोर तक दीपों की कतार बरबस ही ध्यान खिंच रहा था।
नर्सरीपारा ने एक दीपक हमारे देश के रक्षकों के लिए भी जलाया जिनके बदौलत हम सब दीया जला पा रहे हैं।
ततपश्चात बच्चों ने पटाखे/ फुलझड़ियां जलाए,अनार से रोशनी हुई तथा मां लक्ष्मी तथा मां सरस्वती को स्मरण किया गया। तत्पश्चात सबके लिए मिठाई की व्यवस्था की गयी थी, ग्राम वासियों पालको एवं बच्चों के घर घर जाकर मिष्ठान प्रदान किया गया।नई नवेली बहू ने भी स्कूल में सबको दीया जलाता देख अपने आप को रोक नहीं सकी और पहुंच गई रंगोली सजाने। इस संस्कृति,सभ्यता,से परिपूर्ण त्यौहार को सफल अंजाम तक पहुंचाने के लिए शिक्षक ने सभी बच्चों माताओं,पालकों को दीपावली की बधाइयां व अशेष शुभकामनाएं दी । इस अवसर पर पालक,माताएँ बच्चे उपस्थित थे।
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