संवाददाता- दीपक गुप्ता की खास रिपोर्ट
जीपीएम(IBN-24NEWS) मरवाही वनमंडल में इन दिनों हाथी और मानव द्वंद बढ़ता जा रहा है आये दिन हाथियों के हमले से लोगो की असमय मौत हो रही है कल तक जो हाथी जंगलो में अपना भरण पोषण करते थे वह अब रियायसी इलाको में दस्तक देने लगे है जिसका सबसे बड़ा कारण है जंगलो पर अवैध तरीके से अतिक्रमण और जंगलो की बेतहासा अबैध कटाई है . मगर वन विभाग इस ओर उदासीन है चूंकि सरकार ने जंगली वन संपदा जंगली जानवरों के नर्संगिक रहवास इलाके को अडानी गढ़ बनाने का नापाक सपना सजाया हुआ है तब तो लेमरू हाथी रिजर्व के दायरे को कम करके अडानी को कोयले खदान की मंजूरी दे दी है .
अब यह बेजुबान हाथी कहा जाएंगे जब इन्हें जंगलो में भोजन की सुविधाएं नही मिलेगी तो यह शहर और रियायसी इलाको में आएंगे मरवाही वनमंडल में काफी दिनों से हाथियों की दस्तक से पूरा आदिवासी अंचल डर के साये में जीने को मजबूर है हाथियों की धमक ने ग्रामीणों की नींद छीन ली है और जैसे ही आंख लगने की कोशिश होती भी है तो डर लोगो को सोने नही देता की कब हाथी उनपर हमला कर दे .
तब सवाल यह उठता है आखिर कबतक हाथी मानव द्वंद चलता रहेगा क्या शासन में बैठे नुमाइंदों को यह नजर नही आता या आदिवासी अंचल के गरीबो की जान का कोई मोल नही है .
आज ही कि घटना है सुबह के 6:00 बजे ग्राम परासी में टहलने गए नानी- नाती पर हाथी ने हमला कर दिया किसको पता था सुबह घूमने जाना किसी की जीवन के लिए खतरा बन जायेगा
और अपनी जान गंवानी पड़ जाएगी परासी गांव की निवासी घनिया बाई को हाथी ने उठाकर पटक दिया और पैर से कुचल दिया जिसकी वजह से धनिया बाई की जान चली गई इसके साथ ही गए 6 वर्षीय पोता गंभीर रूप से घायल अवस्था मे है जिसका इलाज चल रहा है .
उक्त गंभीर मसले को देखते हुए जनपद सदस्य आयुष मिश्रा का कहना है कि आखिर कब तक यह सिलसिला चलता रहेगा आखिर कब तक यह गरीब आदिवासी अंचल डर के साये में जियेगा अब भी शासन और प्रशासन को चेत नही आई तो वह दिन दूर नही जब मानव - हाथी द्वंद इस कदर बढ़ जाएगा कि इंसान या खुद को बचाएगा या हाथियों को एक तरफ पूरा अमला हड़ताल में बैठा हुआ है जिसकी वजह से सूचना तंत्र भी शून्य है मगर शासन इन हडताल करने वालो की सुध नही लेना चाहती हालांकि एक भी विभाग ऐसा नही है जो खुश है सारे विभाग के लोग हड़ताल और धरना दे रहे है . आखिर क्यों इन कर्मचारियों की पुकार शासन को दिखाई नही देती है .
वही जंगल और जंगली जानवर समेत इंसान भी अब भगवान भरोसे हो चुका है आखिर जवाबदेही तो तय करनी ही होगी शासन की आंख नही खुलेगी तो वह दिन दूर नही जब हाथी शहरी इलाकों में भी अपनी दस्तक दर्ज कराएंगे .
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