पाली जनपद द्वारा 93 ग्राम पंचायतों में खनिज न्यास निधि से घटिया डस्टबीन वितरण बना भ्रष्ट्राचार का माध्यम, सरपंच- सचिवों को नही पता किस योजना का है डस्टबीन....।




कोरबा/पाली(IBN-24NEWS) जिले के कटघोरा जनपद अंतर्गत 53 ग्राम पंचायतों में जिला खनिज न्यास निधि से आधा करोड़ से भी अधिक के कंबल वितरण करने के मामले में चर्चित प्रभारी मुख्यकार्यपालन अधिकारी व्ही के राठौर द्वारा इन दिनों पाली जनपद के सभी ग्राम पंचायतों में भी उक्त योजना से घटिया डस्टबीन बांटने का मामला सुर्खियों में है। जहां 93 पंचायतों में 2011 की जनगणना के आधार पर एक घर मे दो डस्टबीन (सूखा एवं गीला कचरा के लिए अलग- अलग) भेजा जा रहा है। डस्टबीन किस योजना के तहत भेजा जा रहा है इसकी जानकारी सरपंच- सचिवों को नही है, यहां तक कि जनपद पंचायत में सेवा दे रहे कर्मचारियों तक को भनक नही कि स्वच्छ भारत मिशन का स्टीकर चिपका हुआ डस्टबीन किसके द्वारा पंचायतों तक पहुँचायी जा रही है। अनेकों सरपंच ने घटिया किस्म के डस्टबीन को स्टोर रूम में रखवा दिया है और बांटने से इंकार कर दिया है। दरअसल स्वच्छ भारत मिशन का स्टीकर चिपका हुआ वितरण किये जा रहे डस्टबीन खनिज न्यास निधि से खरीदी गई है। सोचनीय है कि इतने बड़े स्तर में खरीदी गई डस्टबीन के लिए सार्वजनिक रूप से निविदा अखबारों में नही निकाली गई। पुष्ट सूत्रों ने जो जानकारी उपलब्ध करायी है उसके मुताबित सीईओ राठौर ने कुछ अखबारों में सेटिंग कर पुरानी तिथि से अनाप- शनाप राशि देकर निविदा छपवाई है, जिस बात की चर्चा क्षेत्र में जमकर चल रही है। क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बाल्टी काफी घटिया किस्म की है तथा कुछ दिनों के उपयोग से वह टूट फूटकर गायब हो जाएगी, जिसे हितग्राहियों द्वारा दो रुपए किलो के हिसाब से कबाड़ में बेचने की मजबूरी होगी। गांव के ग्रामीण हितग्राहियों को तो हालांकि डस्टबीन मुफ्त में बांटी जाएगी लेकिन उनसे 60 रुपए प्रतिमाह लिया जाएगा। दूसरी ओर घटिया डस्टबीन वितरण की आड़ में लाखों का बंदरबांट अधिकारी करेंगे। मामले को लेकर यहां के जनप्रतिनिधि भी आक्रोशित हो रहे है और बड़े स्तर पर शिकायत का मन बना लिए है।  


जेमरा सरपंच ने घटिया डस्टबीन बांटने से किया इंकार।

ग्राम पंचायत जेमरा के सरपंच भंवर सिंह उइके ने बताया कि उनके यहां बांटने के लिए 530 नग गीला- सूखा कचरा हेतु डस्टबीन पंचायत भवन में लाकर रख दिया गया है, जो काफी निम्न स्तर का है तथा जिसकी क्वालिटी के हिसाब से एक डस्टबीन की कीमत महज 30 से 40 रुपए के आसपास अनुमानित लगता है। डस्टबीन किस मद अथवा योजना के तहत वितरण के लिए आया है इसकी जानकारी उन्हें नही है। इस बाबत जनपद कार्यालय के कर्मचारियों से पूछने पर जानकारी मिली कि डीएमएफ फंड से डस्टबीन गांव में बांटने के लिए भेजा गया है, जिसकी राशि पंचायत खाते में जमा होगी, जिसे सरपंच- सचिव द्वारा बताए जाने वाले नाम पर भुगतान किया जाना है। सरपंच भंवर सिंह ने गांव में घटिया स्तर के डस्टबीन बांटने तथा राशि भुगतान से इंकार कर दिया है।


डीएमएफ फंड से खरीदी गई डस्टबीन- सीईओ।

इस मामले की जानकारी चाहने पर सीईओ व्ही के राठौर ने बताया कि स्वच्छता जागरूकता हेतु सभी पंचायतों के लिए डस्टबीन खरीदी का कार्य डीएमएफ फंड से किया गया है, जिसे 2011 जनगणना के अनुसार बांटा जाना है और प्रत्येक हितग्राही से 60 रुपए प्रतिमाह लिया जाएगा। स्वीकृत राशि तथा डस्टबीन की कीमत पूछे जाने पर सीईओ ने अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि फाईल देखकर बता सकता हूँ।

Post a Comment

0 Comments