पोंडीउपरोड़ा (IBN24NEWS) कोरबा जिला के अंतर्गत विकासखंड पोंडीउपरोड़ा के अधीन ग्राम पंचायत पोंडी गोसाईं में चल रही ठेकेदारी प्रथा सरपंच श्रीमती गिरवरी बाई व सचिव बीर सिंह कंवर को है केवल कमीशन से मतलब नही दे रहे गुणवत्ता पर कोई ध्यान, कमीशनखोरी का पूरा मामला इस प्रकार है कि ग्राम पंचायत पोंडी गोसाईं अभी हाल ही में नवीन पंचायत का गठन हुआ है। इस पंचायत में नवीन पंचायत होने के कारण अनेकों निर्माण कार्य शासन द्वारा स्वीकृत हो रहा है, नवीन पंचायत के प्रथम सरपंच श्रीमती गिरवरी बाई है, जो केवल कागजों में हस्ताक्षर करते है एवं घर मे ही रहते है,बैंक से राशि निकालने से लेकर खर्च करने तक का कार्य व पूरा पंचायत का कार्यभार इनका भतीजा हरीश कंवर द्वारा संचालित किया जाता है , हरीश कंवर द्वारा स्वयं के लाभांश को देखते हुए निर्माण कार्य मे भर्रासाही कर सभी निर्माण कार्य को ठेकेदार द्वारा संचालित करवाया जाता है, एवं हरीश कुमार कंवर को है केवल कमीशन से मतलब अपनी मोटी कमीशन लेकर के निर्माण के पूरा कार्य ठेकेदारी प्रथा द्वारा संचालित करवाया जाता है,अभी हाल ही में ग्राम पंचायत पोंडी गोसाईं में नवीन आंगन बाड़ी भवन निर्माण कार्य स्वीकृति हुआ है ,जो जिला खनिज न्यास मद से स्वीकृति हुई है ,जिसकी लागत राशी 6.45 लाख है ,जिसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ भी नही है कि नवीन आंगनबाडी भवन की तीन खिड़की की छज्जा भरभरा कर गिरने लगा है,अभी भवन निर्माण में छत की ढलाई बांकी है जब छज्जा की ढालाई के 15 दिन बाद ही तीन नग खिड़की की ऊपर की छज्जा भरभरा पर गिरने लगा है तो जाहिर सी बात है कि इस आंगनबाड़ी भवन की गुणवत्ताहीन निर्माण के कारण ही ऐसा हो रहा है , एवं पूरा पंचायत के कार्यों को सरपंच के भतीजा हरीश कंवर द्वारा संचालित किया जाता है ।
जिले में अधिकतर ग्राम पंचायतों में चल रही ठेकेदारी प्रथा सरपंच व सचिवों के लिए सिरदर्द बन गई है। कुछ सरपंच सचिव गुणवत्ता को भी ध्यान नही दे रहे है निर्माण गुणवत्तहीन काम करा कर ठेकेदार पंचायत से पूरी राशि लेकर गायब हो जाते हैं। गड़बड़ी का ठीकरा सरपंच सिर फूटता है। उन्हें जेल की हवा तक खानी पड़ती है। लेकिन ग्राम पंचायत पोंडी गोसाईं यह नवीन पंचायत है,जो केवल अपनी जेबें गरम करने में कोई कसर नही छोड़ रहे,ग्राम पंचायत पोंडी गोसाईं का सम्पूर्ण कार्य ठेकेदारी प्रथा से संचालित है।
विकास के लिए सरकार लाखों रुपए जारी करती है। जिला और जनपद पंचायतों के रास्ते यह पैसा ग्राम पंचायतों तक पहुंचता है। कानूनी प्रावधान के अनुसार ग्राम पंचायतों को मिलने वाली राशि खर्च करने का अधिकार ग्राम पंचायत का है। इस दायित्व को सरपंच व सचिव निभाते हैं लेकिन जिले के अधिकांश सरपंच अपने अधिकारों को लेकर जागरूक नहीं हैं। इसका लाभ ठेकेदार उठा रहे हैं।
ठेकेदारी प्रथा हावी है। पंचायतों को मिलने वाले फंड पर ठेकेदार गिद्ध दृष्टि जमाए रहते हैं। जनपद के बाबू के जरिए किसी प्रकार से सरपंच से गांव में विकास कराने का ठेका लेते हैं। कच्चे माल की आपूर्ति और मजदूरी भुगतान के नाम पर सरपंच व सचिव से पैसा भी लेते हैं, और काम को आधा अधूरा कराकर गायब हो जाते हैं। या घटिया सामग्री का उपयोग निर्माण काम में करते हैं,जिसकी वजह से पंचायत की निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन होता है आंगनबाड़ी भवन निर्माण में हेंड ओहर से पहले इस तरह की गुणवत्ता पर सवाल अब ये उठता है की जैसे ही भवन निर्माण पूर्ण होता है आंगनबाड़ी भवन हेंड ओवर के बाद यदि आंगनबाड़ी भवन में बच्चों का आना-जाना प्रारंभ होने के बाद यदि निर्माण गुणवत्ताहीन की वजह से छत गिरता है खुदा न खस्ता कोई जनहानि होता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी ,सवाल ये भी बनता है,इस नवीन पंचायत में सरपंच का पूरा कार्य का संचालन स्वयं सरपंच को करना चाहिए न कि अपने भतीजा के भरोसे पूरा पंचायत को छोड़ना चाहिए।
0 Comments