मलाईदार जगह होने के कारण मरवाही वनमंडल के अधिकारी बरसों से काट रहे हैं चांदी




रेंजर, एसडीओ और इसके बाद इसी वनमंडल में डीएफओ बनने का ख्वाब संजो रहा एक अधिकारी 


फर्जी ठेकेदारों के नाम पर बनाया जाता है। बिल बाउचर


गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़ का नवनिर्मित जिला


बिलासपुर(IBN24NEWS)/ हमेशा से  सुर्खियों में रहने वाला मरवाही वनमंडल जो की मरवाही वनमंडल के अफसरों के लिए मलाई छानने का केंद्र बन चुका है तब तो यहाँ एक बार अधिकारी आते है तो दुबारा जाने का नाम तक नही लेते है. जहाँ शासन की सारे नियम कायदों को ताक में रखकर खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल भी खेला जाता है शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए एक रेंजर को एसडीओ का प्रभार दिलाया जाता है ताकि इनके काले कारनामे उजागर न हो।


मरवाही रेंज जहाँ भ्रष्टाचार अपने चरम पर है जहाँ न तो कोई नियम है और न ही किसी प्रकार का शासन का भय यहाँ पदस्थ एक रेंजर जो पिछले छह सालों से एक ही रेंज | में रेंज अफसर बनकर मलाई छान रहे थे जिनके भ्रष्टाचार के किस्से भी जगजाहिर है तमाम शिकायतों के बाद भी जिस अधिकारी को स्थानांतरित कर उनके कार्यों की जांच की जानी थी किंतु इन्हें नियमों को ताक में रखते हुए प्रमोशन देकर इसी वनमंडल में अनुविभागीय अधिकारी बना दिया गया है और यही अधिकारी अब इसी वनमंडल में डीएफओ बनने का ख्वाब भी संजोए बैठे है। वन परिक्षेत्र मरवाही में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि मरवाही वन | परिक्षेत्र अन्तर्गत में विगत वर्षों से गोबर खाद खरीदी लगभग 6 करोड़ की गई जो पूर्णतः नियम विरुद्ध था. इसके लिए न तो किसी प्रकार का टेंडर जारी किया गया न ही निविदा निकाली गई। इस सर्किल में कभी खाद की खरीदी हुई ही नहीं और 6 करोड़ की गोबर खाद सुनकर ही हैरानी होती है कि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा गोबर के नाम भी करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया है जबकि यह पूर्णतः जांच का विषय है जांच कराए जाने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि वन अधिकारी अपनी जेब गर्म करने के लिए गोवर तक को भ्रष्टचार की भेंट चढ़ा दिए।


वनविभाग में ठेका पध्दती नहीं होती विभाग अपने स्तर पर में अफसरों के द्वारा अपने निजी ठेकेदारों के नाम पर बिल बाउचर का खुला खेल खेला जाता है जहाँ इनके करीबी ठेकदार किताबुद्दीन खंगाल राम . राजेन्द्र प्रसाद आदि के नाम पर फर्जी बिल बाउचर बनाकर करोडो का वारा न्यारा कर दिया जाता है उक्त नामजद ठेकेदारों के खाते की अगर निष्पक्ष जांच कराई जावे तो यह सामने आएगा कि इन कथित ठेकेदारों के नाम पर करोडो का भुगतान किया गया है. 


ईसीपी (ECP) योजनाओं के भ्रष्टाचार


वर्ष 2018 19 में ECP योजनांतर्गत शासन द्वारा करोड़ो का बजट आवंटित किया गया. परंतु यह योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई जहाँ कथित उक्त दर्शाये ठेकेदारो के नाम पर फर्जी प्रमाणक बनाकर करोडो की राशि का आहरण कर लिया गया. आपको बता दें कि यह योजना शासन की महत्ती योजना है और उक्त योजनांतर्गत वर्ल्ड बैंक से पेसा आता है जो कि काफी महत्ती योजना है इसके बाद भी अधिकारी इन शासन की इन योजनाओं को पलीता लगाते नजर आ रहे है। वही मरवाही वनमंडल में उक्त अफसर पिछले 6 साल से रेंजर पद पर पदस्थ रहे है उनके बाद शाशन के नियमों को ताक में रखकर उन्हें एसडीओ का पद दे दिया गया अब यह अधिकारी अगस्त में वर्तमान डीएफओ के सेवानिवृत्त का इंतजार कर रहे है जिससे अब यह यही डीएफओ पर बैठकर अपने पुराने काले कारनामों पर पर्दा डालते हुए जंगलों को इसी तरह रक्षक की आड़ में भक्षक बनकर चरते रहे अब देखने वाली बात यह है कि शासन में बैठे मंत्री या वन अमले की उच्चाधिकारी इन मामलों पर जांच कर कार्यवाही स्थान्तरित करते है या इसी तरह मरवाही वनमंडल को वीरान करने के लिए उक्त अधिकारी को संरक्षण प्रदान करते हुए वनमण्डाधिकारी बना देते है।

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