हंस रूपी नाव से शबरी नदी में विहंगम शोभायात्रा सम्पन्न


मोक्षदा एकादशी को कोण्टा के शबरी नदी पर भव्य नौका-विहार,राम सीता की निकली शोभायात्रा



हंस रूपी नाव से शबरी  नदी में विहंगम शोभायात्रा सम्पन्न



एक समय था जब कोण्टा क्षेत्र बम्ब और बारूद के धमाकों से गूंजता था, लेकिन समय ने करवट बदली और आज उसी कोण्टा में आतिशबाजी, ढोल नगाड़ो की थाप और शहनाइयों की मधुर स्वर  सुनाई देते है।


ओडिशा और तेलंगाना की सीमाओं से जुड़े दक्षिण छत्तीशगढ़ के प्रवेश द्वार त्रिवेणी संगम और विभिन्न संस्कृतियों से परिपूर्ण ताड़ वनों का द्वीप श्री श्री श्री माणिकेश्वर स्वामी की पुण्य धरा शबरी के तट पर बसा ऐतिहासिक नगर कोण्टा प्रारम्भ से ही विशिष्ट सृजनात्मक क्षमताओं,कला रंगमंच की वजह से हमेशा एक नई पहचान बनाता रहा है। इन दिनों कोण्टा में जिस प्रकार का आध्यात्मिक माहौल निर्मित हुआ है उसके बेहतर परिणाम सामने आने लगे है। यहां के युवाओं के इसी आध्यात्मिक सोच ने कोण्टा को पुनः भक्तिमय बनाने की दिशा में अपने प्रयासों में और तेज़ी लाया है।

मोक्षदा एकादशी के अवसर पर कोण्टा में 25 दिसम्बर को "तेप्पोत्सवम" नौका उत्सव का भक्तिमय कार्यक्रम का आयोजन सम्पन्न हुआ। इस आध्यात्मिक भक्तिमय कार्यक्रम में हजारों की संख्या में  नगरवासी एवं पड़ोसी प्रांत के सैकड़ों भक्त इस कार्यक्रम में शामिल होकर भगवान श्री राम,श्री माणिकेश्वर स्वामी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

मोक्षदा एकादशी को

सुबह 4 बजे श्री श्री श्री मणिकेश्वरी शिव मन्दिर में द्वार दर्शन संध्या 4 बजे सीता राम चन्द्र जी का पालकी शोभा यात्रा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

शोभा यात्रा में आंध्रप्रदेश से आए कलाकारों के द्वारा शिव तांडव,अघोरा नृत्य, एवम् आध्यात्मिक गीतों में नृत्य प्रदर्शन का कार्यक्रम विशिष्ट आकर्षण का केंद्र रहा।

शोभायात्रा पूरे कोंटा नगर के भ्रमण के पश्चात शबरी तट पर सीता राम चन्द्र जी का जय श्री राम के नारों के बीच हंस वाहिनी नौका विहार यात्रा सम्पन्न हुआ।

शबरी नदी में नौका विहार के बाद शबरी माता की भव्य आरती सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सैकड़ों भक्त अपने घर से साथ में लाए आरती थाली लेकर समूह आरती में शामिल हुए जो बहुत आकर्षक रहा।

विदित हो कि इस प्रकार का आयोजन प्रति वर्ष सीमावर्ती भद्राचलम में सम्प्पन होता है गत चार वर्षों से इस आयोजन को कोण्टा में किया जा रहा है। माणिकेश्वर स्वामी ट्रस्ट के युवाओं के द्वारा पी.विजय के नेतृत्व में गोपाल कृष्ण नायडू,सुभाष चतुर्वेदी, साई श्रीनिवास, राम शास्त्री,गोलू,मोहन,रामबाबु,एवं अन्य सदस्यों का विशिष्ठ योगदान रहा।

कार्यक्रम का संचालन श्री टी.श्रीनिवास वासु ने किया,पूरे कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा की बेहतरीन व्यवस्था कोण्टा पुलिस ने किया।

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