कोरबा/पाली:-वनभूमि पर मकान बनाकर काबिज तथा वन अधिकार पट्टा प्राप्त एक गरीब किसान जो विगत लगभग 40 वर्षों से अपने कब्जे की जमीन पर खेती- बाड़ी कर परिवार का भरण- पोषण करते आ रहा था।गांव के दबंगों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए उस गरीब वृद्ध किसान और उसके परिवार से मारपीट कर जमीन छीन लिया तथा उन्हें गांव से भी बाहर निकाल दिया गया।पीड़ित परिवार ने इसकी शिकायत थाने व कलेक्टर से की लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।अब पीड़ित गरीब परिवार किसी दूसरे के घर पर आश्रय लेकर रोजी- मजदूरी करने को विवश व लाचार है।
पाली विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत डोंड़की के आश्रित ग्राम भेलवाटिकरा में विश्वनाथ सिंह गोंड़ 65 वर्ष वनभूमि पर विगत लगभग 40 वर्षों से काबिज रहते हुए मकान बनाकर अपनी पत्नी सीताबाई तथा 35 वर्षीय परित्यक्तता पुत्री व एक नाती, एक नातिन के साथ निवासरत था।विश्वनाथ और उसका परिवार काबिज जमीन पर खेती- बाड़ी कर पेट पालते आ रहा था।उक्त किसान को गत वर्ष 2010 में उसके कब्जे की वनभूमि कंपार्टमेंट 149/1 का वन अधिकार पत्र के रूप में शासन की ओर से 101 हेक्टेयर का पट्टा भी मिला था।लेकिन गत वर्ष 2018 में गांव के कुछ दबंगों की नजर गरीब के जमीन पर टिक गई और उन दबंगों द्वारा अपनी दबंगई दिखाते हुए किसान व उसके परिवार के साथ मारपीट करते हुए गांव से बाहर निकाल दिया गया तथा पीड़ित के मकान एवं खेती- बाड़ी पर कब्जा कर लिया गया।पीड़ित परिवार ने इस घटना की शिकायत 29 मई 2018 को कटघोरा थाने में जाकर की जहां पुलिस ने धारा 155 की कार्रवाई कर न्यायालय जाने की सलाह दे दी।जिसके बाद गरीब किसान का परिवार 1 फरवरी 2020 को लिखितमय आवेदन देकर कलेक्टर से अपनी गुहार लगाई जिस पर आज पर्यन्त तक कोई कार्यवाही नही हुई।वर्तमान में उक्त परिवार ग्राम चैतमा में एक परिचित के घर पर आश्रय लेकर रोजी- मजदूरी करते हुए जीवन यापन करने को मजबूर है जहां वृद्ध दंपति दूसरों के घरों पर झाडू- पोंछा तो उनकी परित्यक्तता पुत्री बर्तन साफ करके पेट पाल रहे है।यह परिवार आज भी जिला प्रशासन से उचित न्याय मिलने की आस लगाए बैठा है लेकिन किसी भी प्रकार के उम्मीद की किरण दिखाई नही दे रही है।
संवाददाता : कमल महंत की खास ख़बर
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