वसीयत में प्राप्त अचल संपत्ति भूमि पर दूसरे व्यक्ति द्वारा बेवजह हस्तक्षेप , धमकी और मानसिक प्रताड़ना से बौखलाए पीड़ित व्यक्ति ने किया जिला कलेक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत।

 

कोरबा/पाली (आईबीएन-24) कोरबा जिले के विकासखंड पाली  के अंतर्गत पड़ने वाली ग्राम पंचायत डूमरकछार  जो कोरबा से बिलासपुर की ओर पड़ने वाली सड़क "नेशनल हाईवे 130" से लगी हुई सड़क किनारे स्थित आबादी क्षेत्र में बसा  ग्राम है । जहां के रहने वाले हीरालाल अगरिया पिता घासीराम अगरिया नाम के व्यक्ति और उसके परिवार की अचल संपत्ति भूमि संबंधी एक व्यथा निकलकर सामने आई है । जिसने अत्यधिक परेशान होकर   दिनांक 20/01/2023 को जिला कलेक्टर कोरबा के कार्यालय  में जाकर अपनी समस्या की शिकायत किया और साथ ही साथ उसने पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोरबा को भी शिकायत पत्र दिया है ।

पीड़ित व्यक्ति हीरालाल अगरिया  ग्राम डूमर कछार ,पाली निवासी का कहना है कि उसने अपनी पत्नी श्रीमती संत कुंवर की सग्गे नानी स्व. सुहाना बाई पति सुखीराम जो रिश्ते में हीरालाल अगरिया की नानी सास होती है जिसने अपने मृत्यु के पूर्व अपने अचल संपत्ति भूमि की वसीयत हीरालाल अपने नातिन दामाद के नाम कर चुकी है जिस आधार पर हीरालाल अगरिया ने अपने वसीयत में प्राप्त भूमि को अपने नाम से फौत नामांतरण को दुरुस्त करा चुका है तथा लगभग 25 वर्षो से अपने मामी सास स्व.सुहाना बाई के वसीयत पर प्राप्त भूमि पर घर बाड़ी बनाकर रह रहा है जो नेशनल हाईवे 130 से लगी हुई जमीन है । हीरालाल अगरिया को अपने नानी सास के द्वारा वसीयत में मिली भूमि का विवरण  जो हल्का पटवारी 22,  खसरा क्रमांक  665/1आ ,   666/4 , 713/4, 717/1 ,720/1 है जिसका कुल रकबा 0.957 हे. है जो रा.नि.म. व तहसील पाली में स्थित है ।  

         जिसमे हीरालाल अगरिया को समस्या यह है कि उसी के ग्राम का निवासी गौरीशंकर मरावी  पिता रामायण सिंह मरावी नामक व्यक्ति द्वारा 666/4 खसरा क्रमांक की भूमि के कुछ रकबा को जो सड़क के नजदीक लगी हुई है को  जबरदस्ती अपना हक जमाते हुए भूमि से बेदखल करने की कोशिश करता है अपने पक्ष में कई लोगो को साथ रखकर बलपूर्वक हटाने के लिए धमकी और गाली गलौज करता है । गौरीशंकर मरावी द्वारा हीरालाल अगरिया को उसकी भूमि से हटाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हुए कई बार पाली थाना में और न्यायालय तहसीलदार कार्यालय

 में शिकायत कर चुका है पर हीरालाल अगरिया के पास भूमि संबंधी सभी दस्तावेज और अन्य साक्ष्य सुरक्षित होने के कारण वह हर बार बच जाता है ।

   हीरालाल  अगरिया का कहना है कि वह न्यायालय तहसील से भी दो बार केस जीत चुका है । गौरीशंकर मरावी द्वारा उसे बेवजह प्रताड़ित कर वहा से हटाने के प्रयास से बार बार झुठी शिकायत करता है लगभग 10 से 15 वर्षो से वह उसे और उसके परिवार को परेशान किए पड़ा है । हर बार नए पदभार लिए पटवारी को बुला कर जमीन का नाप जोख करवाता है और ग्राम के ही कुछ लोगो से मारने पीटने की धमकी दिलाता है  जिससे वह बहुत डरे सहमे और प्रताड़ित  अवस्था में अत्यधिक परेशान होकर जिलाधीश कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत किया है ।

        वैसे तो अपने हक के लिए हर व्यक्ति को लड़ने का अधिकार है, अब देखना यह है कि दिए गए शिकायत पर प्रशासनिक  अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं।


क्या है वसीयत:-

इस दुनिया से जाने के बाद आप अपनी संपत्ति को किसे देना चाहते हैं और संपत्ति का कितना हिस्सा देना चाहते हैं ? इसके लिए जिंदा रहते हुए कानूनी दस्तावेज तैयार कराना होता है जो वसीयतनामा कहलाता है। 

वसीयत  एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किसी एक या उससे अधिक व्यक्तियों का नाम लिखा होता है। जिसके नाम वसीयत है वह वसीयत कराने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी प्रापटी और व्यवसाय का उत्तराधिकारी हो जाता है

लेकिन उसकी मृत्यु से पहले तैयार की गई दस्तावेज ही उसकी अंतिम वसीयत लागू होती है।

वसीयत की सुरक्षा भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 में वसीयत को सुरक्षित रखने का प्रावधान है।

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