विधायक मोहित राम केरकेट्टा से मोरगा के छेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने महाविद्यालय और सब स्टेशन की मांग की।



संवाददाता : हजरत खान की खास रिपोर्ट

मोरगा (IBN-24 NEWS) कोरबा जिला के दूरस्थ वनांचल छेत्र होने के कारण छेत्र के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अम्बिकापुर 80 किलोमीटर और कटघोरा 70 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है, जिससे गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई पूरी नही हो पाती इस छेत्र में अधिकतर गरीब परिवार निवासरत है और वे बच्चे वहां रहकर पढ़ाई करने में असमर्थ रहते है छेत्र में महाविद्यालय खुलने से यहां की शिक्षा स्तर भी बढ़ेगा और अधिक से अधिक बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे, साथ ही यहां विद्युत की आंख मिचौली हमेशा बनी रहती है जिनके समाधान हेतु यहाँ विद्युत सब स्टेशन की आवश्यकता है  जिसे बच्चों के पढ़ाई लिखाई में असर पड़ता है इसलिए छेत्र के जनप्रतिनिधियों ने सभी समस्याओं को छेत्रीय विधायक मोहित राम केरकेट्टा से अपनी मांग की महाविद्यालय और सब स्टेशन की मांग की ।


 आदिवासी समुदाय का प्रसिद्ध करमा पर्व पोडी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम मोरगा में काफी धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पाली तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा भी कर्मा पर्व में जमकर नाचे और मांदर भी बजाया। सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुषों ने एक साथ करमा नृत्य पर डांस किया और इस त्यौहार को यादगार बनाया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पाली तानाखार विधानसभा विधायक व मुख्यमंत्री अधोसंरचना उन्नयन विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष मोहितराम केरकेट्टा ने महोत्सव के दौरान कहा कि किसी भी समाज की भाषा, बोली, कला, संस्कृति, परंपरा उसकी असली पहचान होती है। किसी भी आयोजन के माध्यम से ही उस समाज के कला, संस्कृति की पहचान होती है। किसी भी समाज को अपने पहचान को हमेशा बनाए रखना चाहिए।


मोरगा नेहरू स्मारक उच्चत्तर माध्यमिक स्कूल प्रांगण में हर वर्ष की तरह इस बार भी संयुक्त तत्वावधान में करमा महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अलग-अलग गांव की महिलाओं और युवतियों ने रंगारंग करमा नृत्य मादर की थाप के साथ प्रस्तुत कर महोत्सव में समां बांध दिया। कार्यक्रम में एक-एक समूह को नृत्य के लिए 10-10 मिनट का समय दिया गया था। इस अवधि में नृत्य समूह ने अपनी प्रस्तुति दी।कर्मा महोत्सव में मांदर की थाप और सुमधुर करमा गीतों ने उपस्थितजनों का मन मोह लिया। क्षेत्र के करमा नृतक समूह ने आयोजन में हिस्सा लिया और आकर्षक परिधान में नृत्य कर छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य की संस्कृति और परंपरा को जीवंत कर दिया।

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