शास्त्री जी,एवं महात्मा गाँधी जी को किया गया याद :--प्राथमिक विद्यालय नर्सरी पारा।

  



                                                                                 पाली  (IBN-24NEWS) काम से मिला पहचान और पहचान से मिला काम दोनों में अर्श एवं फर्श तक का अंतर है।मोहन,मिस्टर गांधी,बापू, महात्मा और राष्ट्रपिता बनने तक के सफर में त्याग तपस्या और बलिदान देश प्रेम अनुशासन छिपा हुआ है,गांधीजी हमेशा पदयात्रा करते  रहते थे,उनकी चिट्ठी पर पते की जगह"महात्मा गांधी जहाँ हो वहाँ" लिखा होता था। राष्ट्रपिता बापू जी 17 बड़े अनशन किए। 1921 में व्रत लिया की आजादी मिलने तक हर सोमवार उपवास रहेंगे।   13 बार भारत माता को आजाद कराने गिरफ्तार हुए 6 साल 5 महीने जेल में काटे,1930 में दांडी यात्रा कर नमक सत्याग्रह किया,चंपारण आंदोलन,खेड़ा आंदोलन,खिलाफत आंदोलन,नमक आंदोलन,भारत छोड़ो आंदोलन, गाँधी जी के सत्याग्रह आंदोलन के सामने अंग्रेज भी झुके।


 वहीं श्री शास्त्रीजी अधिकार व् कर्तब्य बोध का पाठ हमें कराया,उन्होंने कहा था आत्म सयंम,अनुशासन व देश प्रेम शिक्षको से मिलता है। इसी परिपेक्ष्य में दोनों नेताओं के जन्मदिन 2 अक्टूबर को महात्मा गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री जी के द्वारा परतंत्रता के बेड़ियों से माँ भारती को मुक्त कराने के लिए लड़ी गई आजादी की लड़ाई की गाथा को आत्मार्पित किया गया। सबसे पहले पुष्प की माला धुप अगरबत्ती दीप प्रज्वलित कर पूजा  की गयी,प्रतीकात्मक गांधी जी बनाकर उनके प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम गाते रैली निकाली गयी।  सत्याग्रह,भारत छोड़ो,नमक कानून तोडना,प्रार्थना सभा,कैसे आजादी मिली,देश प्रेम अहिंसा  से जंग जीते, साफ-सफाई,स्वच्छता,एवं उपवास रहने के फायदे,अनुसाशन से रहना,माँ बाप की सेवा,सरकारी संपत्ति की रक्षा आदि बताए गए। इस अवसर पर प्राथमिक शाला नर्सरी पारा के पीएलसी सदस्य श्रीमती सुशीला महंत, श्रीमती रामायण कुँवर,प्रधान पाठक श्री जेलसिह राज,सुनील जायसवाल, श्री ओमप्रकाश तथा बच्चे उपस्थित थे।

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