लाखों के भ्रष्टाचार के बाद भी अंगद के पाँव पसार के बैठे है,ग्राम पंचायत सिंघिया सचिव दीपक कुमार सारथी।

✅तबादला लिस्ट में उनका नाम के जगह मिला एक और पंचायत की जिम्मेदारी ।

✅ ग्राम पंचायत सिंघिया सचिव दीपक सारथी की मनमानी भ्रष्टाचार के शिकायत ग्रामीण करेंगे कलेक्टर से शिकायत।





कोरबा/पोंड़ी उपरोड़ा(IBN-24NEWS) कोरबा जिला अंतर्गत पोंडी उपरोड़ा के अधीन ग्राम पंचायत सिंघिया सचिव दीपक कुमार सारथी 10 वर्ष से अधिक समय तक एक ही पंचायत में जमे हुए है  ग्राम पंचायत सिंघिया में होने वाले  सभी शासकीय योजनाओं के कार्य मे भारी भ्रष्टाचार समय-समय पर पंचायत और अन्य विभागों में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी लोगों और मीडिया द्वारा सामने आती रही है जिसे इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि शासन के नियम के विपरीत लंबे समय तक एक अधिकारी या पंचायत सचिव  एक स्थान पर जमे रहने से भ्रष्टाचार की संभावनाएं तो बढ़ती ही हैं वही शासन के और जनहित के कार्यों में कसावट की संभावनाएं कम हो जाती है ।कोरबा जिले में कई ऐसे पंचायत सचिव है जिनके कार्यकाल में प्रधानमंत्री आवास बनाए गए हैं और शौचालय बनाए गए हैं ग्राम पंचायत में शौचालय पूर्ण होने की कागजों में जानकारी देकर पंचायतों को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया है जिसमे से एक पंचायत ग्राम पंचायत सिंघिया भी है जो पूर्ण ODF और निर्मल ग्राम है यही हाल प्रधानमंत्री आवासों का है जिसे कागजों में पूर्ण बताते हुए अधिकारियों द्वारा वाह-वाही लूटी गई है जो आज भी अधूरे हैं, कई अधिकारी और पंचायत सचिव है जो अपने पंचायत में 10 वर्षों से भी अधिक समय तक जमे हुए है जिसके कारण पंचायत स्तर में ग्रामीण विकास की कार्य भारी मात्रा में भ्रष्टाचार को अंजाम देकर भी आज पर्यन्त तक जमे हुए है।और ट्रांसफर लिस्ट में नाम तो होता है पर मोटी रकम देकर अपनी जगह बने रहते है हाल ही में जिला पंचायत से ट्रांसफर लिस्ट तो जारी हुआ है जिसमे ग्राम पंचायत सिंघिया सचिव दीपक कुमार सारथी का नाम तो है पर उसके तबादला तो  नही हुआ है बल्कि ऐसे भ्रष्टाचारी सचिव को एक और ग्राम पंचायत लखनपुर की जिम्मेदारी मिल गई खेल केवल भरस्टाचार का है जो अधिक करता है वह मोटी रकम देकर बच जाता है और तबादला भी रुकवा लेता है आधिकारियों की जुबानी यह छोटी- मोटी त्रुटि है लेकिन जब जिला पंचायत में 1 साल पुरानी तारीख पर नया आदेश जारी किया जाता है और सचिवों के तबादले की सूची को गंभीरता से नहीं पढ़ा जाता हो, तब इस तरह के आरोप लगना कि सचिवों के तबादले में खासी सांठगांठ और अपने तरह से पोस्टिंग कराने के खेल में रुपयों का हस्तक्षेप चल रहा है, कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

तबादला होने वाले सचिवों की सूची तैयार करने का काम भी सावधानी पूर्वक होता है और जिन लोगों से होकर यह सूची गुजरती है उन सभी ने अपने दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया है। खासकर स्थापना शाखा इस गलती के लिए जिम्मेदार है। इसके पहले भी स्थापना शाखा से जारी हुए सचिवों के तबादला आदेश में 1 साल पुराना तारीख/ वर्ष डालने के मामले को भी जिला सीईओ ने गंभीरता से नहीं लिया। जिम्मेदार पद पर बैठे आईएएस अफसर के लिए जरूरी है कि वह इस तरह की छोटी-छोटी गलतियों को भी नजरअंदाज ना करें। अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों पर जरूरत से ज्यादा भरोसा महंगा पड़ सकता है। इसी महीने में यह दूसरा मौका है जब अधिनस्थ के भरोसे पर सीईओ ने हस्ताक्षर कर अपनी ही कार्यशैली पर सवाल उठवा लिया है।

ज्ञात हो कि 18 अप्रैल 2022 को जिला पंचायत स्थापना शाखा से सचिवों के फेरबदल का दो आदेश जारी किया गया था। इस आदेश पत्र में 4 जगहों पर अप्रैल 2021 कंप्यूटर से टाइप किया हुआ अंकित है और उसके सामने तारीख को लिखा गया है। अब सवाल तो जायज है कि क्या वर्तमान सीईओ नूतन कुमार कंवर के द्वारा उस वक्त के सीईओ कुंदन कुमार के कार्यकाल का आदेश अब जाकर जारी किया गया है या फिर जिला सीईओ के निर्देश पर इस तरह के आदेश निकालने वाले अधिकारी पंचायत सुश्री जुली तिर्की एवं जिला ऑडिटर जे एस पैकरा (पंचायत) की गंभीर लापरवाही है। इस मामले पर मिट्टी डाल दी गई, और भरस्टाचार करने वाले सचिव की ट्रांसफर लिस्ट में नाम है उसको उसी पंचायत के आसपास के ही ग्राम पंचायत में ट्रांसफर कर दिया गया है।

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