"The Kashmir Files" made on the pain of atrocities on Kashmiri Hindus, a large number of youths gathered in the cinema house of Bilaspur.
प्रधान संपादक : गणेश दास महंत
बिलासपुर (ibn 24 news) सन् 1990 में कश्मीर में हुए हिंदुओं के नरसंहार को विवेक अग्निहोत्री ने झकझोरने वाले अंदाज में पर्दे पर उतारा है। फिल्म न केवल तथ्यों की रोशनी में बात करती है, बल्कि कुछ सवाल भी खड़े करती है।
इसी कड़ी में सनातनी हिन्दू समाज बिलासपुर द्वारा इस फ़िल्म के लिए युवाओं द्वारा पूरा सिनेमा हॉल बुक किया गया था। सनातनी हिन्दू लोग रैली के माध्यम से मॉल पहुँचे रैली मिशन हॉस्पिटल से शुरू हुई और गोलबाजार, तेलीपारा,पुराना बस स्टैंड, अग्रसेन चौक, तालापारा, भारतीय नगर से होते हुए मॉल पहुँची।
सनातनी हिन्दू समाज द्वारा भारत माता की जय नारा लगाते हुए सिनेमा हॉल में फ़िल्म देखा गया। युवाओं की संख्या इतनी हो गयी कि सिनेमा हॉल में बैठने तक कि जगह नही बची। बड़ी संख्या में लोगो ने फ़िल्म देख कर यह कहा कि हमे अब सब सच जानने का मौका निर्देशक ने दिया और उन्होंने सभी से अनुरोध भी किया कि इस फिल्म को बडी से बड़ी संख्या में आप सभी देखे।
यह फिल्म कुछ इस प्रकार है
पुरानी फाइलों में दबे सच कई बार विचलित कर देते हैं। ताशकंद फाइल्स (2019) के बाद अब निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कश्मीर की तीन दशक से अधिक पुरानी फाइल के पन्ने पलटे हैं। उनकी यह फिल्म बेचैन करती है। ऐसा नहीं कि कश्मीर का यह व्याकुल कर देने वाला सच लोग नहीं जानते कि कैसे आतंकियों ने कश्मीरी-हिंदुओं को उनकी जमीन से बेदखल किया बेरहमी से कत्ल किया। उनकी महिलाओं-बच्चों पर शर्मनाक अत्याचार किए ,कश्मीरी लोग कैसे देश-प्रदेश की सरकार, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और मीडिया जैसी ताकतों के बावजूद अपनी धरती से पलायन के बाद देश में ही शरणार्थी बन कर रह गए और आज तक उन्हें न्याय नहीं मिला। पुरानी पीढ़ियों से होता हुआ यह दर्द नई पीढ़ी की रगों में दौड़ रहा है। विवेक अग्निहोत्री ने इसी पीढ़ी-दर-पीढ़ी दर्द के बहने की कहानी को कश्मीर फाइल्स में उतारा है।
फिल्म में दिखाए गए दृश्य हिला कर रख देती है। एक दृश्य में आतंकी पुलिस की वर्दी में 24 कश्मीरी-हिंदुओं को एक कतार में खड़ा करके गोलियों से भून देते है। छोटे बच्चे को भी नहीं बख्शते। वे कश्मीरी-हिंदुओं और भारत का अपमान करने वाले नारे लगाते हैं। महिलाओं को हर तरह से अपमानित करते हुए पाशविक हिंसा को फिल्म निर्माता ने पेश किया है ।
बिलासपुर के युवाओं ने फिल्म निर्माता और निर्देशक की सराहना की जिन्होंने हमारी बंद आंखों को खोलने का रास्ता दिखाया । कश्मीरी हिन्दू पंडितों और कश्मीरी हिंदुओ पर हुए अत्याचार की सच्चाई को परदे पर लोगो को दिखा कर जागरूक करना फिल्म निर्माता निर्देशक का एक बहुत बड़ा कदम है ।
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