नर्सिंगगंगा मे हुआ कार्तिक पूर्णिमा स्न्नान, पहुँचे दूर दूर से श्रद्धालु।



कोरबा/चैतमा(IBN-24NEWS) नरसिंह-गंगा पाली ब्लॉक मुख्यालय से 25 व चैतमा से करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित है। पथरीली पहाड़ियों व चट्टान निकलते पानी की धार में जलक्रीड़ा तथा वनभोज के लिए अक्सर लोगों की भीड़ यहां जुटती है। खासकर कार्तिक के महीने में पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पिकनिक के लिए परिवार व दोस्तों के साथ हर साल पहुंचते हैं, यहाँ कोरबा जिला के आलावा अन्य जिला व  अन्य राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा तक से भी लोग यहां पर्यटन के लिए पहुंचते हैं। वन विभाग ने पर्यटकों की सुविधा के लिए एक विश्रामगृह का निर्माण किया है, लेकिन पहुंच मार्ग के दुर्गम होने से यहां तक पहुंचना काफी कष्टभरा है, फिर भी श्रद्धालु पूर्णिमा स्नान के लिए दुर्गम पहाड़ियों को पार करते हुए स्नान के लिए पहुंच ही जाते हैं,ग्राम पंचायत ईरफ के सरपंच ने सीसी रोड व सीढ़ी का निर्माण कराया है। 


इसकी मदद से लोग झरने तक पहुंचते हैं। क्षेत्र में विभागीय पहल से सुविधाओं के विकास की जरूरत है, ताकि यहां जुड़ी लोगों की धार्मिक आस्था के साथ पर्यटन की दृष्टि से ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित किया जा सके.कार्तिक में वनभोज के अलावा माघ पूर्णिमा में यहां भव्य मेला लगता है। इस दौरान इरफ सहित आसपास के 20 गांव के लोग मेले का आनंद उठाने पहुंचते हैं। नरसिंह-गंगा की गुफा के समीप यहां पलमाइनदाई व भगवान शिव का मंदिर भी स्थापित है। गांव के लोग पलमाइनदाई की आराधना करते हैं तथा सावन माह में कांवरिये जल लेकर पदयात्रा करते हुए यहां पहुंचते हैं और प्राचीन मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। चैतमा मुख्य मार्ग से पश्चिम दिशा की ओर नरसिंह गंगा का झरना है। सुविधाओं का अभाव होने के कारण ग्रामीणों से गठित समिति के सेवक श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था करते हैं। यहाँ विशाल भंडारे का आयोजन हर साल होता है,वर्षों से चली आ रही एक मान्यता पटपरा में रहले वाले नरसिंह-गंगा के  पुजारी ने नरसिंह गंगा के विषय में वर्षों से चली आ रही एक मान्यता के बारे में बताया। उसने बताया कि नरसिंह गंगा में झरने का पानी काफी पवित्र माना जाता है। इसके जल से स्नान का स्वच्छ मन व विश्वास से जहां भगवान नरसिंह से मांगी गई मन्नत पूरी होती है, जनहितैषी कार्य सफल होते हैं। वहीं स्वार्थ सिद्ध के लिए आने वाले दुर्गणी लोगों के ऊपर झरने का जल ही नहीं पड़ता। बैगा के अनुसार यहां पापी व्यक्ति पर झरने का पानी नहीं पड़ता। श्रद्धालु नहाने से पहले नरसिंह भगवान की स्तुति करते हैं और थोड़ा चांवल व रुपये धारा में अर्पण करने के बाद नहाते हैं। इस तरह उनका पाप इस झरने में धुल जाता है। झरने के ऊपरी भाग में पलमादाई का वास है, जहां दर्शन के लिए लोग पहुंचते हैं।

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