चैतमा : डिप्टी रेंजर की मनमानी नही रहते अपने कार्य छेत्र में वनों की हो रहा अवैध अंधाधुंध कटाई ।




पाली/चैतमा(IBN-24NEWS) चैतमा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत का जंगल अब वन माफिया, व इमारती लकडियों की अवैध कटाई व तस्करी करने वालो तत्वो के लिए पुरी तरह से खुला हो गया है, चैतमा डिप्टी रेंजर कार्यलय जर्जर हो जाने के कारण यहाँ पदस्थ कर्मचारी चैतमा कार्यलय मे नहीं रह पाते जिसका नाजायज फायदा लकड़ी तस्कर उठाते है,पिछले कुछ वर्ष से वन परिक्षेत्र के कार्यलय पूरी तरह ध्वस्त हो गया जिससे विभाग का कामकाज पूरी तरह से पटरी उतर गया है।



 जानकारी के अनुसार चैतमा वन परिक्षेत्र का काफ़ी बड़ा है जिसके अंतर्गत बिहड़ जंगल आते है, इन सब रेंजो का दायित्व डिप्टी रेंजर ललित वर्मा को मिली हुई पर ग्रामीणों की शिकायत है कि डिप्टी रेंजर मुख्यालय में नहीं रहने से अन्य कार्यरत कर्मचारी भी अपने मुख्यालय में निवास नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में इन सर्किल में पदस्थ वन रक्षक भी अपने अपने फील्ड से गायब हो जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक वन विभाग के स्थानीय अधिकारी मुख्यालय को छोड़ कोरबा से आना-जाना करते है, जबकि कोरबा जिला मुख्यालय के आदेशानुसार कर्मचारी क़ो अपने कार्यरत मुख्यालय मे रहना अनिवार्य है, जबकि चैतमा वन परिक्षेत्र मे ऐसा नहीं हो पा रहा है,जबकि चैतमा मे विभागीय आदेश का उलट है, तत्कालीन सरकार एक तरफ लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। वहीं दूसरी ओर चैतमा जंगल से बेखौफ बेशकीमती पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है,कभी ईंधन के नाम पर तो कभी लकड़ी तस्करी के नाम पर,इसके बाद भी विभागीय अफसर मौन बैठे हुए हैं। जिसका फायदा सक्रिय तस्कर उठा रहे हैं, ,वन विभाग के स्थानीय अधिकारी मुख्यालय छोडकर अपडाउन कर रहे है,जिससे फील्ड का मैदानी अमला भी जंगल व मुख्यालय से गायब हो गया है। जंगल से वनरक्षकों के गायब हो जाने से इलाके के वन तस्कर व लकड़ी चोरों की लाटरी निकल आई है। वन परिक्षेत्रकी अवैध कटाई व तस्करी की शिकायतें बढ़ गई है।



 पिछले कई वर्ष से वन विभाग के स्थानीय अधिकारी कर्मचारी घर बैठकर ही जंगल की सुरक्षा कर रहे चैतमा वन परिक्षेत्र के सामाान्य वन मंडल का जंगल अब वन माफिया, व इमारती लकडियों की अवैध कटाई व तस्करी करने वालो तत्वो के लिए पुरी तरह खुला हो गया है। पिछले कुछ वर्षो से वन परिक्षेत्र में रेंजर ऑफिस मे नही रहने से वन विभाग का कामकाज पूरी तरह से पटरी उतर गया है। जानकारी के अनुसार डिप्टी रेंजर भी अपने मुख्यालय में निवास नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में इन सर्किल में पदस्थ वन रक्षक भी अपने अपने फील्ड से गायब हो जाते है,वनों की अवैध कटाई पर भी रोक नही है जिससे जंगल उजडते जा रहा है यदि ऐसा रहा तो पूरे वनों का सफाया हो जयेगा इस तरह प्रक्रिति के साथ जवाबदेह लोगो द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है, चैतमा और घुइचूवा सर्किल मे कई लकड़ी तस्करी के कई मामले आ चुके है ।



विगत दिनों ही ट्रेक्टर और पिकअप से अवैध लड़की परिवहन के मामले आ चुके है फिर भी जिम्मेदार अधिकारियो का इस क्षेत्र में नजर अंदाज करना चिन्तनीय विषय है,ग्रामीणओ का कहना है की वन विभाग के डिपो मे एक भी कर्मचारी का ड्यूटी नहीं है जिससे गांव मे किसी घर मे मृत्यु हो जाए तो डिपो मे कर्मचारी न होने के वजह से इधर उधर से लकड़ी की व्यवस्था की जाती है, ग्रामीणओ क़ो ऐसे समय मे वन विभाग के कर्मचारीओ का न रहना ग्रामीण द्वारा नाराजगी व्यक्त करते है,ग्रामीणों ने आक्रोश के साथ चैतमा डिप्टीरेंजर की दूसरी जगह तबादले की मांग की है।

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