कोरबा/पाली(IBN-24NEWS)ग्राम चैतमा मे यात्रीयों क़ो अपनी जान जोखिम मे डालकर यात्रा करना पड़ रहा है, चैतमा बाँसटाल मे बरसात मे पानी के बहाव के लिए एक छोटी पुल की आवश्यकता थी, ऐसा नहीं है कि यहां पुल नहीं बनाया गया था यहां कुछ साल पहले सड़क निर्माण के समय एक छोटी पुल का निर्माण किया गया था,
जो बहुत ही निम्न स्तर के थे जो बरसात मिट्टी पत्थर के जाम होने से,बरसात के पानी का निकासी नहीं हो पाता ,पुल का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया,इ9सके बाद दूसरा बड़ा लोक निर्माण विभाग के तहत स्वीकृत होकर बनना शुरू हुआ,आनंदी कंट्रोकशन बिलासपुर क़ो यह काम दिया गया पर ठेकेदार का रवेया काम के प्रति लापरवाही का जिससे इतने लेट लतिफा हुआ की बरसात से पहले ये काम नहीं हो पाया,यह काम इतनी धीमी गति से किया जा रहा है कि बरसात से पहले पुलिया का एक हिस्सा ही अब तक बन पाया दूसरे हिस्से का काम अभी रुका हुआ है, जिस गति से अभी कार्य जारी था ठेकेदार के लापरवाही के वजह से ही रास्ट्रीय राजमार्ग कोरबा बिलासपुर अंबिकापुर के रास्ते यही छोटी पुलिया पार करके जाना पड़ता है, साथ ही ये रास्ते उत्तर प्रदेश और बिहार, झारखण्ड क़ो जोड़ती है, पर विभागीय लापरवाही और ठेकेदार की लापरवाही के वजह से यहाँ बरसात की पानी गिरने के वजह से रोज जाम की स्थिति बन रही है,और काम भी गुणवत्ता पूर्ण नहीं है जिससे पुलिया के एक हिस्सा ट्रक के ठोकर मारने से अभी से टूट गया है, आने वाले समय मे यहाँ लम्बी जाम की नकारा नहीं जा सकता है,
बरसात मे यहाँ जाम लगना सुनिश्चित है, फिर भी काम के प्रति ठेकेदार और सड़क निर्माण विभाग गंभीर नहीं है अगर यहाँ जाम लगा तो बिलासपुर कोरबा अंबिकापुर, और अन्य राज्य के आने जाने के रास्ते पूरी तरीका से बंद हो जायेंगे,पाली ब्लॉक मुख्यालय से तकरीबन 14 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम चैतमा मे आम नागरिकों जाने के लिए राहगीरों को एक छोटी पुलिया पार करना पड़ता है, जिसमें बरसात के दिनों में प्रायः चार से पांच महीने पानी भरा रहता है। जिस कारण राहगीरों को इस मार्ग से आवागमन करने पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह मार्ग दूरस्थ वनांचल ग्रामों को चैतमा से जोड़ने का एक मात्र रास्ता है, कोयला की ओव्हार लोड गाड़ी चलते रहता है इसलिए यहां यातायात का दबाव भी हमेशा बना रहता है, लेकिन इस मार्ग पर पड़ने वाले नाले पर पुल एकदम जर्जर है इस कारण राहगीरों को हमेशा तकलीफ का सामना करना पड़ता है,जिसे देखते हुए स्थानीय लोगों द्वारा उक्त मार्ग के नाले पर एक पुल निर्माण की मांग शासन से वर्षों तक की गई। तब यहां एक छोटी पुल का निर्माण के लिए स्वीकृत किया गया, जिसे सड़क ठेकेदार माध्यम से बनवाया गया, उक्त कांट्रेक्टर ने पुल को इतने निम्न स्तर का बनाया कि पुल अपने निर्माण के प्रथम वर्ष ही बरसात से पहले ही पुलिया का एक हिस्सा अभी से टूट गया हैऔरआवाजाही की समस्या यथावत बनी हुई है बताना लाजमी होगा की की निर्माणधीन कम्पनी कई जगह लापरवाही पूर्वक काम कर रही है चैतमा बस स्टेण्ड मे भी नाली निर्माण का काम किया जा रहा है उसको भी आधा अधूरा छोड़ दिया गया है, कम्पनी क़ो छुरी से डुमरक्छार तक का काम मिला है पर सभी काम क़ो आधा अधूरा छोड़ा गया है।
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