कोरबा/कटघोरा(IBN24NEWS) कटघोरा वनमंडल कार्यालय के भेदी बने व्यय शाखा के बड़े बाबू और एक दैनिक वेतन भोगी कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा अपने स्वार्थ लाभ के लिए दफ्तर की गोपनीय जानकारी एक पूर्व डिप्टी रेंजर के पुत्र आरटीआई कार्यकर्ता व ठेकेदार को मुहैया कराते रहे और अधिकारियों के नाक नीचे से वन परिक्षेत्रों में कराए गए विभिन्न कार्यों की गोपनीय जानकारियां वर्षों से बाहर निकलती रही लेकिन किसी को कानों- कान भनक तक नहीं लगी। इनकी बदौलत अनेक रेंजर आर्थिक लूट का शिकार होते रहे और दफ्तर में भ्रष्ट कार्यशैली को बढ़ावा मिलता रहा। नि:संदेह अधिकारियों की उदासीनता और अधीनस्थ कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं होने का ही यह दुष्परिणाम है कि दफ्तर की जानकारी लीक होती रही। बता दें कि हाल ही में ईएसआईपी योजना के कार्य के संबंध में लगभग 95 लाख रुपए का चेक व्यय शाखा से काटा गया। इसी तरह लाखों और करोड़ों रुपए के चेक विभिन्न रेंजरों के लिए भुगतान हेतु काटे गए। इसकी जानकारी एक पूर्व डिप्टी रेंजर के पुत्र को रेंजरों से पहले ही मिल जाती रही है और वह भुगतान पर सवाल उठाकर रेंजरों से वसूली करता रहा है। हालांकि 95 लाख के भुगतान मामले में भी विभागीय भ्रष्टाचार जमकर हुआ है जहां मजदूर कोटा जिले के बाहरी क्षेत्रों से लाना बताया गया और बोगस भुगतान भी किया गया जिसकी गोपनीय जानकारी मिलते ही उक्त पूर्व डिप्टी रेंजर के पुत्र ने वसूली अभियान शुरू कर दिया और संबंधित रेंजर से मोटी रकम वसूल की। वहीं एक अन्य रेंजर सत्तु जायसवाल को भी बीते 03 जून को इस आशय से मैसेज किया कि तुम्हारे यहां 1.56 करोड़ का चेक कटा है और लेबर पेमेंट में क्या डील कर रहे हैं.? सत्तु जायसवाल ने उक्त मैसेज से सीधे डीएफओ शमा फारूखी को रूबरू कराया। मामला सामने आने पर वनमंडलाधिकारी के भी पैरों तले जमीन खिसक गई और आनन- फानन में सभी बाबुओं के मोबाइल जप्त कर इसकी जांच शुरू की गई और तब दैनिक वेतन भोगी कम्प्यूटर ऑपरेटर शुभम जायसवाल और व्यय शाखा के बड़े बाबू सीधे शक के दायरे में रहे। सूत्र बताते हैं कि इस कार्यवाही से हड़बड़ाए दफ्तर का भेदी शुभम जायसवाल ड्यूटी से छूटने के बाद अपने घर न जाकर पूर्व डिप्टी रेंजर के पुत्र के घर सीधे जा पहुंचा तब शक यकीन में बदल गया। बड़े बाबू और शुभम के द्वारा न सिर्फ गोपनीय जानकारी लीक की जाती रही बल्कि दोनों मिलकर रेंजरों से डील कर ठेका भी लेते रहे है। बड़ा बाबू तो 8-10 मिक्सर मशीन व पानी टैंकर का मालिक भी बताया जा रहा है। इस मामले में जांच कितनी ईमानदाराना तरीके से होगी और किस हद तक जाकर ठहरेगी तथा गोपनीय जानकारी लेने वाले पूर्व डिप्टी रेंजर के पुत्र और जानकारी देने वाले ऑपरेटर एवं बड़े बाबू पर क्या कार्यवाही की जाएगी, यह तो अभी रहस्य के गर्भ में है। दूसरी ओर यह एक बड़ा मामला है जिसकी तह तक जाकर जांच होना अतिआवश्यक है। नही तो ऐसे भेदियों का हौसला बढ़ता ही रहेगा। नि:संदेह अधिनस्थ कर्मचारियों की कार्यशैली से अधिकारियों की छवि और अधिकारियों की कार्यशैली से शासन की छवि धूमिल हो रही है। इस मामले में अब कोई संदेह नहीं रह गया है। सूत्र बताते है कि बाबूगीरी करते भेददार के साथ ठेकेदार बन बैठे कटघोरा वनमंडल के उक्त बाबू और ऑपरेटर को फिलहाल हटा दिया गया है जहां बाबू को कोरबा और ऑपरेटर को जांच नाका की जिम्मेदारी थमाई गई है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन उन्हें इस तरह से क्लीनचिट देना कहीं न कहीं और कभी न कभी कटघोरा वनमंडल को भारी पड़ सकता है।
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