कोरबा/पाली (IBN24NEWS) जिले की अंतिम सीमा बगदेवा से कटघोरा एनएच के मध्य फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य करा रहे दिलीप बिल्डकॉन कंपनी द्वारा सड़क निर्माण कार्य मे घोर लापरवाही आसानी से देखा जा सकता है,कोरोना काल मे बरती जा रही घोर लापरवाही कही स्वास्थ्य के लिए मुसीबत न बन जाए, दिलीप बिल्डकान कम्पनी द्वारा सड़क निर्माण मे राखड़ का उपयोग कर रही है, जो हवा के माध्यम से हवा पानी और घरो तक हवा के साथ फैल रहा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, ज्ञात हो कि बगदेवा से कटघोरा मुख्यमार्ग के मध्य लगभग साढ़े आठ सौ करोड़ के फोरलेन सड़क निर्माण का काम चल रहा है जिसका ठेका मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड कंपनी द्वारा लिया गया है और जिसका अस्थाई कार्यालय चैतमा के समीप संचालित किया जा रहा है, पर कम्पनी द्वारा नागरिकों के स्वास्थ्य क़ो ध्यान मे रख कर कार्य नहीं किया जा रहा है.पर्यावरण नियमों के अनुसार राखड़ उपयोग करने के पश्चात.राखड़ के ऊपर पर्याप्त पानी का छिड़काव किया जाना हैऔर साथ ही राख के ऊपर मिट्टी की परत बिछाई जानी है,पर कम्पनी नियमों का उल्लंघन और मापदंडों की अवहेलना कर लगातार सड़क निर्माण का विस्तार किया जा रहा है, जिसका साइड इफेक्ट आम लोग झेल रहे हैं।
हाल ये हो जाता है कि कई बार राखड़ के धुएं की वजह से राहगीरों को अपने वाहनों के हेडलाइट ऑन करके सड़क पर सफर करना पड़ रहा है कम्पनी में नियमों की अवहेलना को लेकर चैतमा के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गर्मी शुरू होते ही समस्या और भी विकराल रूप ले रही है. हल्की सी हवा आते ही सड़क निर्माण के नजदीक की पूरी बस्ती राख से पट जाती है. लोगों के शरीर में जलन, खुजली जैसी परेशानियों के साथ सांस लेने में तकलीफ जैसी कई बीमारियां हो सकती है.कोरबा देश का पांचवां सबसे प्रदूषित शहर है फ्लाई ऐश यानी राखड़ वह राख होती है, रिपोर्ट के अनुसार राखड़ में से अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु रहती हैं, जिनकी जद में निरंतर आने पर किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकता है साथ ही बताना लाजमी होगा की आसपास के खेतीहर जमीन क़ो प्रभावित कर रही है,खेती लायक जमीन क़ो राखड़ से पट रहा है जिससे जमीन बंजर होने का भी खतरा है तेज़ हवा चलने पर जब यह राखड़ उड़ती है, तो पेड़-पौधों पर उसकी धूल जम जाती है, कम्पनी के इस रवेया से चैतमा के पास रहने वाले किसान क़ो अपनी आने वाले पैदावार क़ो सोचने क़ो मजबूर कर दिया है,स्वास्थ्य विभाग के एक रिपोर्ट के अनुसार राखड़ हवा के साथ वातावरण में फैलती है तब जितनी घातक होती है, उतनी ही घातक पानी में मिलने के बाद होती है। रिपोर्ट के अनुसार गीले ऐशपॉन्ड के आस-पास स्थित नहरों व तालाबों में घातक तत्व होने की वजह से उसमें नहाने वालों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। यही नहीं अगर उस पानी को पीया तो 50 में से एक व्यक्ति को कैंसर की बीमारी निश्चित रूप से लग सकती है। राखड़ की जद में अधिक समय तक नहरे पर नर्वस सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। आंतों से संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं बच्चों की हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं। किडनी व फेफड़ों को डैमेज करने में यह राखड़ बड़ी भूमिका निभाती है, और अभी करोना काल मे तो फेफड़े का स्वस्थ रहना नितांत आवश्यक है
0 Comments