कोरबा/पाली:- राज्य सरकार से अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर बीते 26 दिसंबर से सचिव संघ का जिले के पांचों विकासखंडों में हड़ताल लगातार जारी रहने के साथ 30 दिसंबर से रोजगार सहायक संघ द्वारा भी अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए है।जहां पाली विकासखण्ड स्तर के सचिवों एवं रोजगार सहायकों द्वारा जनपद कार्यालय के समीप उनके हड़ताल स्थल पर शनिवार 2 जनवरी को जिला एवं ब्लाक सरपंच संघ पाली ने पहुँचकर अपना पूर्ण समर्थन दिया गया।वहीं 6 जनवरी को भाजपा के रामपुर विधायक ननकीराम के साथ पाली के भाजपाइयों द्वारा भी हड़ताल स्थल पर उपस्थित होकर अपना समर्थन प्रदान किया गया जहाँ आज इस हड़ताल के बारहवें दिन नियमितीकरण किये जाने राज्य सरकार के सद्बुद्धि के लिए हवन- पूजन किया गया।
बता दें कि पंचायतों के कामकाज सम्हालने वाले ये पंचायतकर्मी राज्य के भूपेश सरकार से इस बात को लेकर हड़ताल पर बैठे है कि उन्हें शासकीय कर्मी का दर्जा देकर नियमित किया जाए।इस विषय पर छ.ग. सचिव संघ के प्रदेश महामंत्री सुनील जायसवाल ने कहा कि यदि सरकार अपने नियमों के अंतर्गत शिक्षाकर्मियों को नियमित कर सकती है तो पंचायत सचिवों के साथ रोजगार सहायकों को भी यह सुविधा क्यों प्रदान नही कर सकती।उन्होंने आगे कहा कि सरकार हमे भी शासकीयकरण की श्रेणी में शामिल कर समय वेतनमान के साथ वे सभी सुविधाएं प्रदान करें जिसकी पात्रता दूसरे शासकीय कर्मियों को दी जा रही है।वरिष्ठता क्रम में सचिवों को फिलहाल 31 हजार रुपए की राशि प्राप्त हो रही है जिसे वे मानदेय के तौर पर देखते है वहीं कनिष्ठ श्रेणी के सचिवों को 9 हजार या इससे कुछ अधिक की राशि उनके कार्य सम्पादन के लिए पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदान किया जा रहा है।जबकि ग्रामीण क्षेत्रो में अधोसंरचना से लेकर विकास और अन्य कार्यों का दारोमदार सचिवों पर है।इसके अलावा केंद्र एवं राज्य प्रवर्तित योजना का क्रियान्वयन कराने में पंचायत सचिव अपनी अहम भूमिका निभा रहे है।इसके साथ ही आम निर्वाचन, मतगणना सहित अन्य कार्यों में उनका योगदान तय होता है।ऐसे कार्यों को लेकर उनके कामकाज को सराहा भी गया है इन सबके बावजूद सचिवों की श्रेणी सरकारी कर्मी की निहि बन सकी है।कहा गया है कि परीविक्षा अवधि पूरी होने के साथ नियमितीकरण के प्रावधान होने पर आखिर मापदंडों के तहत अगली कार्यवाही क्यों नही की जा रही।आखिर पंचायत सचिवों के मामले में समस्या क्या है।उन्होंने तय कर रखा है।
कि हड़ताल तबतक जारी रहेगी, जबतक उनकी मांगों पर यथोचित विचार और कार्यवाही नही किया जाता।बता दें कि प्रादेशिक आह्वान पर सचिवों के 26 दिसंबर से काम बंद हड़ताल पर चले जाने के बाद रोजगार सहायकों द्वारा भी अपनी मांगों को लेकर 30 दिसंबर से आंदोलन पर बैठ जाने के कारण पंचायतों का काम पूरी तरह से ठप्प पड़ गया है।जहां निर्माण कार्यों के साथ संचालित जनकल्याणकारी योजनाएं व ग्रामीणों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है।फिलहाल देखना यह है कि भूपेश सरकार कब तक इनकी मांगों को पूरा करती है..?
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