कोरबा/पाली:-अचरज किंतु आरटीआई के तहत उपलब्ध जांच रिपोर्ट के दस्तावेजनुसार सत्य है कि किस प्रकार शातिर एवं भ्रष्ट्र सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर द्वारा अपने ऊपर लगे 3 लाख गबन के आरोप की जांच कार्यवाही से खुद को बचाने अपने शातिर बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए किये गए भ्रष्ट्राचार की शिकायत को मिथ्या साबित करने का प्रयास किया गया।और 3 लाख के कार्य कराए जाने का जो उसने बिल व दस्तावेज जांच टीम को उपलब्ध कराया उसमे सचिव का भष्ट्राचार रूपी करतूत स्पष्ट नजर आ रहा है।लेकिन खेद का विषय यह है कि मामले में अबतक कार्यवाही नही हो सकी है।
गबन के इस मामले पर विदित हो कि बीते पंचायत चुनाव 2020 में लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान ग्राम पंचायत रतखंडी के सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर द्वारा तत्कालीन सरपँच के फर्जी हस्ताक्षर से 14वे वित्त मद का तीन लाख की राशि आहरण कर गबन किये जाने की शिकायत तत्कालीन सरपंच श्रीमती सरस्वती देवी की ओर से पाली जनपद सीईओ से किया गया था।जिसकी जांच की गई और एक लाख की वसूली योग्य रिपोर्ट तैयार कर अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु दो माह पहले जिला सीईओ को भेजा गया जांच रिपोर्ट वर्तमान में जिला पंचायत में पदस्थ एक बाबू के टेबल में अन्य फाइलों के नीचे दबकर शोभा बढ़ा रहा है।सचिव के विरुद्ध किये गए शिकायत के आधार पर जनपद सीईओ एमआर कैवर्त द्वारा तीन सदस्यीय जांच टीम जिसके जांच अधिकारी सी के आदिले, जी एस नेटी व जी एस पैकरा को जिम्मेदारी सौंपा गया था।जहाँ उन्होंने मौके पर जाकर जांच किया था।सूचना का अधिकार के तहत सम्पूर्ण जांच रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति उपलब्ध होने पश्चात सचिव द्वारा किये गए भष्ट्राचार का यह कारनामा सामने आया कि कार्य का स्टीमेट जारी होने के लगभग 6 माह पूर्व ही पेयजल व्यवस्था हेतु 2 लाख की लागत का निर्माण कागजों में पूर्ण करा लिया गया था।उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार आश्रित मोहल्ला राईकछार में बोर खनन, पम्प फिटिंग, सिन्टेक्स स्थापित एवं हैण्डपम्प मरम्मत, वाइंडिंग कार्य कराए जाने का 2 लाख भुगतान आईसीआईसीआई बैंक से 16 जनवरी 2020 को किया जाना प्रदर्शित है जबकि उक्त कार्य का स्टीमेट पीएचई विभाग कटघोरा द्वारा 16 जुलाई 2020 को पंचायत के लिए जारी किया गया है।अब यह अचरज भरा कारनामा ही है कि इस कार्य के स्टीमेट जारी होने के 6 महीने पहले ही सचिव चंद्रिका द्वारा पेयजल व्यवस्था से संबंधित 2 लाख की लागत का कार्य कागजों में पूर्ण करा लिया गया था।शायद जांच में पहुँचे अधिकारियों की नजरों में यह भष्ट्राचार का कृत्य नजर नही आया या फिर सहानुभूति जताते हुए ध्यान नही दिया गया हो।बहरहाल जो भी हो लेकिन जांच अधिकारियों द्वारा जांच पूर्ण कर तथा प्राथमिक शाला मरम्मत कार्य के लिए 3 फरवरी 2020 को 1 लाख की राशि आहरण कर मरम्मत कार्य नही कराए जाने के मामले में 1 लाख की वसूली योग्य रिपोर्ट तैयार कर पाली जनपद सीईओ को सौंप दिया गया।जिसमे स्कूल मरम्मत कार्य के नाम पर जो बिल सचिव द्वारा जांच टीम को प्रस्तुत किया गया उसमें 100 बोरी सीमेंट के अलावा 5 ट्रेक्टर गिट्टी तथा 7 ट्रैक्टर ईंट का उल्लेख है।बिल में उल्लेख मटेरियल सामाग्री को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो स्कूल मरम्मत नही सीधे नए बिल्डिंग तैयार किया गया हो क्योंकि भवन मरम्मत कार्य के लिए गिट्टी व ईंट की जरूरत नही पड़ती है।ऐसे में सामाग्री क्रय बिल के आधार पर संबंधित फर्मो का बैंक के माध्यम से राशि लेनदेन की भी जांच की आवश्यकता है।बहरहाल शातिर सचिव चंद्रिका के विरुद्ध 14वे वित्त मद से 3 लाख रुपए राशि गबन मामले की शिकायत पर जांच कर उचित कार्यवाही के लिए जांच प्रतिवेदन दो माह पूर्व जिला सीईओ को भेजा तो जा चुका है।लेकिन भ्रष्ट्र सचिव के हितैषी बने जिला पंचायत में पदस्थ एक बाबू के टेबल पर जांच प्रतिवेदन की फाइल अन्य फाइलों के नीचे धूल खाते पड़ा है।जिसके कारण दोषी सचिव पर अबतक किसी प्रकार की कार्यवाही नही हो पाई है।और यही एक कारण है कि जनता के पैसे पर डांका डालने वाले ऐसे सचिव के हौसले काफी बुलंद हो चले है।
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