24 घँटे बीत जाने पश्चात भी पीड़िता का नही हो पाया मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया पूर्ण !
बिलासपुर/कोरबा:- बिलासपुर जिले के बेलगहना पुलिस चौंकी अंतर्गत ग्राम पंचायत करहीछापर की एक 13 वर्षीय मूकबधिर आदिवासी नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद 4- 5 माह का गर्भ ठहरने पर गर्भपात कराने और मामले को दबाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद हमने समाज का दर्पण होने की जिम्मेदारी का निर्वह करते हुए शासन- प्रशासन का ध्यान समाज मे हो रहे ऐसे कृत्य की तरफ आकृष्ट कराने खबर के माध्यम से जिम्मेदारों को अवगत कराया ताकि नाबालिग लड़की को न्याय के साथ तत्कालित स्वास्थ्य सुविधा और जीवन सुरक्षा मिल सके।खबर के बाद पूरे मामले में पुलिस प्रशासन सजग हुआ साथ ही पीड़िता की मां जो बेटी और परिवार से अलग रहती है उसने इस पूरे मामले की कोटा थाने में शिकायत करते हुए बेटी को न्याय और गुनाहगारों को सजा दिलाने गुहार लगाई।और मीडिया को दिए अपने कथन में कहा कि मेरी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म हुआ है और उसके गर्भवती होने पर रिश्तेदारों ने सामाजिक बैठक के बाद अपनी बचाव और बदनामी के डर से गर्भपात कराया।जहाँ दुष्कर्म के आरोपी को समाज के ठेकेदारों ने संरक्षण दिया।जबतक बेटी को न्याय ना मिल जाए इंसाफ की लड़ाई जारी रहेगी।उधर पुलिस ने भी पीड़िता की मां के कथनोपरांत गांव जाकर मामले की तस्दीक करने पश्चात नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले उसके चचेरे भाई, दादा, चाचा- चाची सहित अन्य के विरुद्ध अपराध क्रमांक 389/20, धारा 313, 376, 34 भादवि एवं पॉस्को एक्ट की धारा 4 के तहत अपराध दर्ज कर लिया।इस दौरान दर्जनों ग्रामीण कोटा थाना जा पहुचे और विरोध करते हुए मामले में समझौता के लिए पीड़िता की मां पर दबाव बनाया गया।लेकिन बात नही बन पाई।वहीं आज पुनः आरोपी पक्ष की ओर से दर्जनों ग्रामीण कार्यवाही को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने बेलगहना उपतहसील कार्यालय पहुँचे थे।लेकिन वहाँ उपस्थित कुछ मीडिया कर्मियों के कैमरे को देखकर मौके से सभी नौ दो ग्यारह हो गए।अब उन ग्रामीणों का विरोध की वजह यह है कि पीड़िता की मां ने अपनी बेटी के साथ घटित पूरे घटनाक्रम में ग्राम सरपंच, बैठक में शामिल होने वाले लोग, मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, महिला बाल विकास कर्मी को भी दोषी बताया है जिसके अनुसार पुलिस ने अन्य पर भी मामला दर्ज कर जांच में जुटी है।और इसी कार्यवाही से बचने अन्य आरोपी उक्त हथकंडा अपनाने में लगे है।यहां पर एक बात सोचनीय है कि शिकायत के 24 घँटे बाद भी पीड़िता का मेडिकल टेस्ट की प्रक्रिया अबतक पूरी नही की गई है जिसे लेकर पुलिस जांच की भूमिका संदेहास्पद बना हुआ है।देखना है कि पुलिस द्वारा पूछताछ रूपी जांच में अन्य दोषियों पर भी कानूनी शिकंजा कसते हुए पीड़िता को न्याय दिलाने में जल्द कामयाब हो पाती है या पूछताछ व जांच का खेल यूं ही बदस्तूर जारी रहेगा।क्योंकि सवाल अब यह उठता है कि आखिर किसके इशारे पर ग्रामीण कार्यवाही का विरोध करने कोटा थाना पहुचे थे?विरोध ही करना था तो जब पुलिस मामले की तहकीकात के लिए पीड़िता के गांव पहुँची तब विरोध क्यों नही किया गया?पीड़िता का चाचा पुलिस के गांव पहुँचने से पहले क्यों फरार हुआ?गर्भपात कराने का निर्णय किसके कहने पर लिया गया तथा कौन- कौन लेकर कहाँ- कहाँ गया?नाबालिग का गर्भपात किस चिकित्सक ने किया और पीड़िता का मेडिकल टेस्ट में विलंब आखिर क्यों हो रहा है?पीड़िता बोल नही सकती तो पुलिस मूकबधिर शाला बिलासपुर के विशेषज्ञों की सहायता लेकर वैज्ञानिक सबूतों को एकत्रित करने में क्यों नही ले रही रुचि?पीड़िता की मां द्वारा सौंपे गए नामजद शिकायत आवेदन के कुछ नामों को नजरअंदाज क्यों कर रही पुलिस उक्त ज्वलंत सवाल जवाब चाहता है...?
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